नामाबर

 

हिंद युग्म में पूर्व प्रकाशित Eleven


तू उठे तो उठ जाते हैं कारवें
मेरे जनाजे में ऐसा काफिला नहीं आता,

तू थी तो हर्फ़ हर्फ़ इबादत था
तेरे बिना दुआओं में भी असर नहीं आता

कभी हर राह की मंजिल थी तेरी गली
अब तेरे शहर से कोई नामाबर नहीं आता

एक आंसू नहीं बहाने का वादा था
निभाया, अब लहू आता है अश्क नहीं आता

मेरे दिल के दर्द, मेरी रूह के सुकूं
जान जाती है मेरी तू नज़र नहीं आता

Photo Courtesy: Flickr