सपने

 

बंधन कुछ कहने को तो कच्चे होते हैं

टूटें तो हर ओर सिर्फ परखच्चे होते हैं

 

आँख मूँद तमाशा देखते रहे हैं सारे बड़े लोग

'ये हो क्या रहा है' पूछने को बस बच्चे होते हैं

 

ज़मीर के हमाम में मैले कुचले से लोग

भीड़ में आकर सब के सब अच्छे होते हैं 

Fourteen

 

मेहनत, लगन, उम्मीद - जब तक सांस चले

जो ना मिले वो खट्टे अंगूरों के गुच्छे होते हैं

 

दुनिया गफलत में ही डालती रहेगी तुझे पन्त

तेरे सपने सच ना भी हों लेकिन सच्चे होते हैं

 

 

 

Photo Courtesy: Flickr