चाहत

 

फूलों की छुअन में इक नुकीला एहसास है2336528179_44c3671ceb_m
इक अदद मुस्कान में थोडा लग रहा प्रयास है
खुर्द से इकरार में भी कुछ तो विरोधाभास है
ये मुसाफिर इतना चल कर है अब ये कह रहा
रह गयी थोड़ी सी दूरी वो मिटाना चाहता हूँ

लम्हा ए दीदार से मिट चुकी जो प्यास है
कोई लफ़्ज़ों से करे इसके दर्द का इलाज़ है
आलम ए महफ़िल लगता अब कुछ ख़ास है
अजब चाहत है ये दिल की है अब ये कह रहा
दूर जाकर यूँही फिर से पास आना चाहता हूँ

इक अरसे से होती जा रही जो कैसी ये तलाश है
आखिर ढूँढने को क्या - छानी पूरी कायनात है
खोजते निकले दिन सारे नहीं चैन इक रात है
मिल गयी मंजिल उसे जो है अब ये कह रहा
ढूंढता हूँ औरों में जो वो खुद में पाना चाहता हूँ

नब्ज़ होती कुछ शिथिल है थोडा छा रहा उन्माद है

लगता है की रक्त बस बाहर बहने को बेताब है
भावनाएँ लाख लगती कि जैसे गिर रहा प्रपात है
जागती आँखों का भी हर स्वप्न है अब ये कह रहा
आँख मूँद सब छोड़ छाड़ बस सो जाना चाहता हूँ

क्या है जीवन - किसी रूह पर इक जिस्म का लिहाफ है
क्या है जीवन - गिनती भर की साँसों का ही हिसाब है
क्या है जीवन - अंतिम नींद की सहर तक का ख्वाब है
थक चुका मेरा अंतर्मन है हार कर अब ये कह रहा
दे चुका हूँ सब जवाब अब अंजाम पाना चाहता हूँ

 

Photo Courtesy: Flickr

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