आदतन

कल शाम देखा था,
ऊंचे पर्वतों के ऊपर,
श्वेत बर्फ का लिपटा कम्बल
हरे पेडों के बॉर्डर से घिरा|

ऊंचाइयों पे पहुँच कर
देखा लोगों को खेलते
नर्म बर्फ पे गिरते पड़ते
स्की करते बंजी जम्प करते|

मनुष्य - आदतन इच्छा करता है,
ऊंचाइयां छूने की, ऊपर उठने की,
उड़ने की, इच्छाओं को पंख देने की,
आदतन, स्वाभाविक, स्वैच्छिक|

आश्चर्य - पहुँच उन ऊंचाइयों पर,
जहाँ कुछ ही लोग पहुंचे हैं,
गहराई उसे खींचती है,
नीचाई लुभाती है, ललचाती है

आदमी - जो अब तलक,
ऊंचाइयों को लक्ष्य बनाये था,
खींचता चला जाता है,
फिसलता है, कूदता है

ख़ुशी से, स्वेच्छा से, ऊंचाई से
नीचाई तक का सफ़र तय करता है,
तेज और तेज, अवरोध रहित,
तत्पर, आकुल - छूने को धरातल, रसातल|